30 Nov 2009

panchakshar

मित्रों मुझे यह घोषित करते हुए बहुत खुशी हो रही है कि  मेरा 'पंचाक्षर' नामक उपन्यास आप लोगों के बीच है। यह आज के भारत की राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, परिस्थितिओं का एक जीता जागता  कच्चा  चिट्ठा है, जो एक तरफ़ तो वर्तमान की पोल खोलता है, पर दूसरी तरफ़, युवा पीढ़ी और उससे जुड़े अफसानो का मरहम भी है जो उसे सरल, रसात्मक और ग्राह्य बनता है। तो स्वीकार करें मेरी तरफ़ से आने वाली यह भेंट!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!.............