6 Dec 2010

दिल का ठिकाना

















सुलगने के दिल से जल उठा जमाना,
यकीं नहीं होता कि कभी यही था इस दिल का ठिकाना.

गर्दिश


















गर्दिशों में आते हैं सितारे भी, हम जो गिरे तो क्या बात हो गई,
ये तो पड़ाव है मुसाफिर, यह मत समझना की यहीं रात हो गई.