22 Mar 2017

चितवन

तेरे चितवन में छिपी मेरी तस्वीर, मुझसे भी खूबसूरत है,
इन्हें उठाना, मिलाना और लजा जाने की अदा कातिल है।
रूठ जाने पे मना लेना, मान जाने पे नजरें फिर से हटा देना,
झुकी नजरों से हमें निहार लेना, और खुद पर टिकी पा कर इतराना,
यूँ न समझो की इन सब से हम ना-वाकिफ़ हैं।
तेरी मुस्कराहट में बसती है जिंदगी, सुरों में प्राण ऐ प्रिये,
बाँहों में सिमटी है हमारी किस्मत, चाहत है यूँ ही जियें।
काटने को है लंबा सफ़र ऐ हमसफ़र, कट जायेगा तेरी चाहत में,
बचेंगे जो कुछ पल, गुजार देंगे ऐसी जिंदगी देने वाले की इबादत में।

18 Mar 2017

जुम्बिश

जिंदगी की अंधेर गलियों का चमचमाता गलियारा पसरा हुआ है,
 चकाचौंध में चौंधियाई आँखों के सामने मंजर बिखरा हुआ है ,
बहुत चाहते हैं समेटें बाँहों में जो कुछ भी पीछे बिसरा हुआ है।
अहले जिंदगी ऐसी है रूठी, जैसे जीने का सलीका खो गया है ,
बरबस कोशिशों के बाद भी फलक पर चित्रित रंग  फीका हुआ है।
जो भी हो, जैसी हो, रूहानियत को पाने  जुम्बिश  खाली न होगी ,
इतना तो ऐतबार है उसपे, कि हमारी हर रात काली न होगी।