6 Dec 2010

दिल का ठिकाना

















सुलगने के दिल से जल उठा जमाना,
यकीं नहीं होता कि कभी यही था इस दिल का ठिकाना.

गर्दिश


















गर्दिशों में आते हैं सितारे भी, हम जो गिरे तो क्या बात हो गई,
ये तो पड़ाव है मुसाफिर, यह मत समझना की यहीं रात हो गई.
  

23 Jun 2010

हासिले-मंजिलात










हम तो चलते जाते हैं डगर पे डगर,
बस मंजिलें पीछा करती हैं रह-रहकर.
 

29 Mar 2010

इरादा
















जा के  कह दो आँधियों तुफानो से नहीं डरते हम,
 हमारे क़दमों को डिगाने का न पालें वहम.

दिलदार की अदा





















दिलो जान से आहें भरा करते थे जिनके लिए ;
दिल तोडना उनकी अदा निकली.

 

13 Mar 2010

दिले-दास्ताँ


















हम तो बयां करते हैं सीधे जबान से,
यह बात और है की आप ने दिल का स्वाद ही नहीं चखा;
यूँ जी के भी क्या करें,इस बेलौस गुमास्ता जहाँ में है ही क्या रखा?