जीवन के सुख की तलाश और यह यह कभी न ख़त्म होने वाली प्यास कब ख़त्म होगी क्या जाने। रोज-बरोज़ सुबह-सुबह निकल जाते हैं मरीचिका में शीतल जल की खोज में। कभी मिलता है, कभी नहीं भी मिलता। आखिरकार जिंदगी में अनिश्चितता को इतनी तो गुंजाइश देनी ही होगी।
ख़ैर ख़ामख़्वाह परेशान होने का क्या फायदा। जिंदगी और समय दोने की अपनी खुद की एक रफ़्तार होती है। यदि दोनों एक ही दिशा में समन्वित हो गयी तो द्रुत गति से सफर तय हो जायेगा। किन्तु यदि दशा-दिशा में जरा भी फेर रहा तो अनुमानित समय पे सफर पूरा हो इसकी कोई सुनिश्चितता नहीं है। ऐसे में मानसिक, शारीरिक एवं आध्यात्मिक संतुलन बनाये रख कर काम से काम यह तो निर्धारित किया ही जा सकता है की गाडी पलटी नहीं खायेगी और सफर करने वाला व्यक्ति देर सबीर मंजिल तक पहुँच ही जायेगा।