22 Mar 2017

चितवन

तेरे चितवन में छिपी मेरी तस्वीर, मुझसे भी खूबसूरत है,
इन्हें उठाना, मिलाना और लजा जाने की अदा कातिल है।
रूठ जाने पे मना लेना, मान जाने पे नजरें फिर से हटा देना,
झुकी नजरों से हमें निहार लेना, और खुद पर टिकी पा कर इतराना,
यूँ न समझो की इन सब से हम ना-वाकिफ़ हैं।
तेरी मुस्कराहट में बसती है जिंदगी, सुरों में प्राण ऐ प्रिये,
बाँहों में सिमटी है हमारी किस्मत, चाहत है यूँ ही जियें।
काटने को है लंबा सफ़र ऐ हमसफ़र, कट जायेगा तेरी चाहत में,
बचेंगे जो कुछ पल, गुजार देंगे ऐसी जिंदगी देने वाले की इबादत में।